शिव जी की आरतीॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा|ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा||ॐ जय शिव ओंकारा...एकानन चतुरानन पंचानन राजे|हंसासन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे||ॐ जय शिव ओंकारा......दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अति सोहे|तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहे||ॐ जय शिव ओंकारा......अक्षमाला, वनमाला, मुण्डमाला धारी|चंदन मृदमद सोहे, भोले त्रिपुरारी||ॐ जय शिव ओंकारा......श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे|सनकादिक, ब्रह्मादिक, भूतादिक संगे|ॐ जय शिव ओंकारा......कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता|सुखकर्ता, दुखः हर्ता, जगपालन करता||ॐ जय शिव ओंकारा......ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका|प्रणवाक्षर के मध्ये तीनो ही एका||ॐ जय शिव ओंकारा......By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबत्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे|कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे||ॐ जय शिव ओंकारा.....ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा|ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा||ॐ जय शिव ओंकारा...
शिव जी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा|
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा||
ॐ जय शिव ओंकारा...
एकानन चतुरानन पंचानन राजे|
हंसासन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे||
ॐ जय शिव ओंकारा......
दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अति सोहे|
तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहे||
ॐ जय शिव ओंकारा......
अक्षमाला, वनमाला, मुण्डमाला धारी|
चंदन मृदमद सोहे, भोले त्रिपुरारी||
ॐ जय शिव ओंकारा......
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे|
सनकादिक, ब्रह्मादिक, भूतादिक संगे|
ॐ जय शिव ओंकारा......
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता|
सुखकर्ता, दुखः हर्ता, जगपालन करता||
ॐ जय शिव ओंकारा......
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका|
प्रणवाक्षर के मध्ये तीनो ही एका||
ॐ जय शिव ओंकारा......
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे|
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे||
ॐ जय शिव ओंकारा.....
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा|
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा||
ॐ जय शिव ओंकारा...
Comments
Post a Comment